अपनेपन की बात, फिर से आज वो करने लगा
आँख में न जाने क्यों, इक धुआँ सा भरने लगा
साथ मेरा छोड़कर, वो चल दिया तो क्या हुआ
कौन किसके साथ, अब उम्र भर चलने लगा
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दीवाली के दिये
दीवाली के दिये रात को सजाये गए संवारे गये भोर होते ही चौखट से उतारे गए बाती जल चुकी तेल भी चुक गया ओने कोने औंधे पड़े मुहं ताक रहे हैं...
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सुनो रावण ! सुनो रावण ! दशहरे में हम तुम्हारा पु...
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दीवाली के दिये रात को सजाये गए संवारे गये भोर होते ही चौखट से उतारे गए बाती जल चुकी तेल भी चुक गया ओने कोने औंधे पड़े मुहं ताक रहे हैं...
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